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संजय मल्होत्रा बने रिजर्व बैंक के नए गवर्नर,इससे पहले क्या थे? जानिए

अबतक इंडिया न्यूज 9 दिसम्बर । भारत के रिजर्व बैंक (RBI) के नए गवर्नर के रूप में संजय मल्होत्रा की नियुक्ति हुई है. केंद्रीय कैबिनेट ने संजय मल्होत्रा की नियुक्ति को मंजूरी दी है. संजय मल्होत्रा अपनी शानदार नेतृत्व क्षमता और वित्तीय मामलों की गहरी समझ के लिए जाने जाते हैं. संजय 1990 के IAS बैच के अधिकारी हैं, जो अभी रेवेन्यू सेक्रेटरी हैं. उनकी नियुक्ति 3 साल के लिए होगी. कल मंगलवार को मौजूदा गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल खत्म हो रहा है.

9 दिसंबर को डीपीओटी द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ​​तीन साल की अवधि के लिए अगले आरबीआई गवर्नर होंगे. संजय मल्होत्रा ​​11 दिसंबर को मौजूदा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास से पदभार ग्रहण करेंगे. मल्होत्रा ने पहले सरकारी कंपनी आरईसी (REC) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में काम किया है.

उनकी विशेषज्ञता पब्लिक फाइनेंस, एनर्जी रिफॉर्म, और इकॉनमिक एडमिनिस्ट्रेशन तक फैली हुई है. रेवेन्यू डिपार्टमेंट में उनके नेतृत्व को केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में एक नई भूमिका में कदम रखने के लिए महत्वपूर्ण अनुभव के रूप में देखा जाएगा.

संजय मल्होत्रा कौन हैं?

संजय मल्होत्रा 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं. उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी, अमेरिका से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की है.

33 साल के अपने करियर में उन्होंने बिजली, वित्त और कराधान, सूचना प्रौद्योगिकी, खनन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट नेतृत्व और अनुभव दिखाया है. वर्तमान में वे वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव के रूप में कार्यरत हैं. इससे पहले वे वित्त मंत्रालय के अंतर्गत वित्तीय सेवाओं के विभाग के सचिव के पद पर थे.

उन्हें राज्य और केंद्र सरकार दोनों स्तरों पर वित्त और कराधान का गहरा अनुभव है. अपने वर्तमान कार्यकाल में वे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों से संबंधित नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

3 लाख करोड़ के पावर डिस्ट्रिब्यूशन रिफॉर्म के किंग!
इससे पहले, मल्होत्रा ​​वित्तीय सेवा विभाग (Department of Financial Services) में सचिव थे, जहां उन्होंने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में प्रमुख सुधारों और नीतिगत निर्णयों को संभाला. उन्होंने विद्युत मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में भी काम किया, जहां वे 3 लाख करोड़ रुपये के पावर डिस्ट्रिब्यूशन रिफॉर्म को लागू करने में शामिल थे.

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