रईसजादे को कोर्ट ने सिखाया सबक… नाबालिग को मर्सिडीज थमाने वाले पिता पर ठोका इतना मोटा जुर्माना, पुश्तें याद रखेंगी
अबतक इंडिया न्यूज 6 जुलाई । देश की राजधानी में आठ साल पहले सामने आए मर्सिडीज हिट एंड रन (Mercedes Hit and Run Case) मामले में तीस हजारी कोर्ट का अहम फैसला आया है. साल 2016 में एक रईसजादे के 17 साल के बेटे ने सिविल लाइंस इलाके में जो तांडव मचाया था, उसे उसके किए का फल कोर्ट ने दिया.
एमएटीसी कोर्ट ने नाबालिग के पिता पर दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. यह राशि जान गंवाने वाले 32 साल के मार्केटिंग कंसल्टेंट के परिवार को मिलेगी. इस घटना का सीसीटीवी वीडियो उस वक्त जमकर वायरल हुआ था. पेश घटना से जुड़ा आपराधिक मामला अभी भी जारी है, जिसमें नाबालिग के पिता और मां भी आरोपी हैं.
पिता ने अपने बेटे को बचाने के लिए हर वो हथकंडा अपनाया था, जिसे वो अपना सकता था. उसने बेटे की स्थान पर किसी दूसरे ड्राइवर को भी पेश किया, हालांकि कोर्ट के सामने उसका ये झूठ पकड़ा गया था. एमएसीटी कोर्ट के जज डॉक्टर पंकज शर्मा (Dr. Pankaj Sharma) ने अपने आदेश में कहा, ‘पिता अपने नाबालिग बेटे के कृत्यों के बारे में अनजान होने का बहाना बनाकर बचने का प्रयास कर रहा है. तथ्यों के अनुसार वो बेटे द्वारा किए गए पिछले ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन और दुर्घटना के बारे में अच्छे से जानता था. वह इसे अनदेखा करता रहा. पिता ने यह महसूस नहीं किया कि सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों का जीवन इससे खतरे में पड़ सकता है. पिता मनोज अग्रवाल ने अन्य चालकों की कीमत पर अपने नाबालिग बेटे के कृत्य को अनदेखा करके जानबूझकर उसके अवैध व्यवहार को बढ़ावा दिया.’
मर्सिडीज हिट एंड रन में 32 साल के मार्केटिंग एग्जिक्यूटिव की मौत हो गई थी.
दिल्ली के रईसजादे के नाबालिग बेटे ने इस वारदात को अंजाम दिया था.
नाबालिग आरोपी इससे पहले भी कई हादसों को अंजमा दे चुका था.
मर्सिडीज हिट एंड रन केस में पिता की मौन सहमति…
जज पंकज शर्मा ने कहा, ‘वह अपने पिछले कृत्यों से भी यह महसूस करने में विफल रहा कि अपने नाबालिग बेटे को गाड़ी चलाने की अनुमति देना अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए विनाशकारी हो सकता है. अपने नाबालिग बेटे को मर्सिडीज कार चलाने से रोकने के बजाय उसने इसे अनदेखा करना चुना, जो उसकी ओर से मौन सहमति को दर्शाता है. दुर्घटना के समय पिता घर पर था, यही तथ्य उसके बेटे को कार को घर से बाहर ले जाने से रोकने का और भी बड़ा कारण था. इसलिए, तथ्यों और परिस्थितियों में, पिता की ओर से दायित्व से मुक्ति की मांग करने वाली याचिका खारिज की जाती है.
इंश्योरेंस कंपनी रिकवर करेगी पैसा…
कोर्ट ने साफ किया कि अभी इंश्योरेंस कंपनी को करीब दो करोड़ की मुआवजा राशि देनी होगी. क्योंकि नाबालिग अवैध तरीके से बिना लाइसेंस के कार चला रहा था, इसलिए कंपनी नाबालिग के पिता से यह राशि बाद में वसूल करने की हकदार है. जज पंकज शर्मा ने आगे कहा, ‘बीमा कंपनी को निर्देश दिया जाता है कि वह उपरोक्त मुआवजा राशिद को 30 दिनों के भीतर एनईएफटी या आरटीजीएस मोड के माध्यम से इस न्यायाधिकरण के खाते में जमा कराए.’