
अबतक इंडिया न्यूज 5 अप्रैल । राजस्थान में कांग्रेस ने संगठनात्मक ढांचे में बड़ा बदलाव करते हुए जिलों की संख्या 39 से बढ़ाकर 50 कर दी है. पार्टी हाईकमान ने इस फैसले को मंजूरी दे दी है. राज्य में नए प्रशासनिक जिलों के गठन के बाद कांग्रेस ने भी संगठन स्तर पर नई जिला कांग्रेस कमेटियों का गठन किया है. इसके तहत कुछ जिलों को विभाजित किया गया है, जबकि कुछ को हटाया भी गया है.
गहलोत सरकार के कार्यकाल में बनाए गए 17 नए जिलों में से मौजूदा भजनलाल सरकार ने 8 जिलों को बरकरार रखा था. कांग्रेस ने इन्हीं 8 जिलों को संगठनात्मक जिले के रूप में मान्यता दी है. इनमें बालोतरा, ब्यावर, डीडवाना-कुचामन, डीग, खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड़, फलोदी और सलूंबर शामिल हैं.
वहीं, गहलोत सरकार के जिन 9 जिलों को वर्तमान सरकार ने खत्म किया था, उनमें से कांग्रेस ने सिर्फ तीन को ही संगठन का जिला बनाए रखा है—नीमकाथाना, जोधपुर ग्रामीण और जयपुर ग्रामीण. जयपुर ग्रामीण को दो हिस्सों, पूर्व और पश्चिम में बांटकर दो नए संगठनात्मक जिले बनाए गए हैं. इसी तरह, भीलवाड़ा को भी शहर और ग्रामीण दो हिस्सों में विभाजित किया गया है.
हालांकि, दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, गंगापुरसिटी, अनूपगढ़ और सांचौर जैसे जिलों को कांग्रेस ने संगठनात्मक जिला नहीं बनाया है, जिससे राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है. कांग्रेस, भले ही गहलोत सरकार के जिलों को खत्म करने का विरोध कर रही हो, लेकिन खुद संगठन स्तर पर उन्हें जगह न देने से विरोधाभास की स्थिति बन गई है.अब कांग्रेस के पास 50 जिला कांग्रेस कमेटियां होंगी, जिनमें नए जिलाध्यक्ष और कार्यकारिणी गठित किए जाएंगे. इससे नए नेताओं को संगठन में जिम्मेदारी मिलने की संभावना है.
इस निर्णय को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर पलटवार करने का मौका पा लिया है. उनका तर्क है कि जब कांग्रेस ने खुद इन जिलों को संगठन के लिए जरूरी नहीं समझा, तो वे प्रशासनिक जिले कैसे हो सकते हैं. इससे कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं.