
अबतक इंडिया न्यूज 22 मार्च देशनोक । (लक्ष्मीनारायण शर्मा )आज देशनोक में जिस आरओबी पर हो रही जानलेवा दुर्घटनाओं पर स्थानीय जनप्रतिनिधि केवल मात्र वोट बैंक साधने की ओछी राजनीति कर रहे है वो बेहद शर्मनाक है।
देशनोक में ओवरब्रिज निर्माण के समय ओवरब्रिज संघर्ष समिति ने लगातार करीब दो माह तक अंडरपास व ब्रिज की तकनीकी खामियों की सुधार को लेकर आंदोलन किया था। तब यही जनप्रतिनिधि इस आंदोलन का माखौल उड़ा रहे थे। अंडरपास मांग पर तो उस समय की उनकी मंशा व भावना यहां उल्लेख के लायक भी नही है।

आज मीडिया व सोशल मीडिया पर जो लाशों के ढेर पर शोक का ढिंढोरा पीट रहे उस समय अगर उस आंदोलन की महत्ता व गंभीरता को समझा होता तो आज हालात कुछ और होते है। यह देशनोक वासियों के लिए दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि उनके द्वारा चुने गए छपास रोगी जनप्रतिनिधि निज स्वार्थ की राजनीति से ग्रसित रहे।आंदोलनकारियों को पागल व मंदबुद्धि तक कहने से भी नही चुके। कुछ जनप्रतिनिधियों ने आंदोलन के समर्थन में पत्र लिखकर आंदोलनकारियों की हौसला अफजाई की थी। स्थानीय सांसद के एक स्थानीय कट्टर समर्थक ने तो देशनोक थाने की सीएलजी बैठक में आंदोलन को मीडिया का ढकोसला तक कह दिया था।
मेरा इस आलेख का तात्पर्य किसी को अपमानित करना या माखौल उड़ाना नही है बल्कि आमजन के संज्ञान मे लाना है ।लेकिन ऐसे संवेदनशील विषय पर ओछी स्वार्थपरक राजनीति को सदैव निंदनीय ही कहा जायेगा।
अब चूंकि वर्ष के अंत में स्थानीय निकाय के चुनाव होने है तो इन जनप्रतिनिधियों को ओवरब्रिज में खामियां नजर आने लगी है जबकि खामियां तो निर्माण के समय ही थी।लेकिन निज स्वार्थी राजनीति की नकली श्रेय लेने की होड़ के आकंठ में डूबे इन तथाकथित जनसेवकों को उस समय खामियां नजर नही आई।क्योंकि उस समय तो राजनीतिक आकाओं की चापलूसी कर नजदीकियां बढ़ाने में मशगूल थे।
अब समय आ गया है कि जनता ऐसे नेताओं से जवाब तलबी करें, इन्हें सबक सिखाए।19 मार्च की रात को हुए दर्दनाक भीषण हादसे मे 6 लोगों की दर्दनाक मौत पर शोक जताने के बजाय स्थानीय नेता किस प्रकार मानवता व बेशर्मी की हदें पार कर राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूर्ति के जश्न में डूबे रहे .. इस पर अगले एपिसोड में …