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एमजीएसयू का नवम दीक्षांत समारोहआयोजित ,शिक्षा से खुलती है विकास की राहें – राज्यपाल

अबतक इंडिया न्यूज जयपुर, 26 मार्च। राज्यपाल  हरिभाऊ बागडे ने कहा कि शिक्षा से विकास की राहें खुलती है। उन्होंने कहा कि भारत ज्ञान परंपरा में श्रेष्ठतम रहा है। प्राचीन ज्ञान के आलोक में विद्यार्थी आधुनिक विकास के लिए कार्य करें। उन्होंने विकसित भारत के लिए मिलकर कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने बीकानेर को सांख्य दर्शन के प्रणेता महर्षि कपिल की तपोभूमि बताते हुए कहा कि प्राचीन ज्ञान की धारा से आलोकित नई शिक्षा नीति के अंतर्गत युवा पीढ़ी भारत के गौरव से कैसे जुड़े, इस पर सभी स्तरों पर चिंतन होना चाहिए।

राज्यपाल  बागडे बुधवार को महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षांत समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों ने शिक्षा अर्जित की है, वे इसका समुचित उपयोग देश के नवनिर्माण में करें।

राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत, शिक्षा का अंत नहीं शुरूआत है। विद्यार्थी इस दौरान सीखे हुए ज्ञान का उपयोग भावी जीवन के निर्माण, समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए करें।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा, व्यक्ति को ज्ञान और विवेक प्रदान करती है। उन्होंने किताबों को शिक्षा और संस्कृति का मूल बताया और कहा कि यह व्यक्ति को ज्ञान सम्पन्न करने के साथ उसे कल्पनाशील, विचारवान और संवदेनशीलता सीखाती है।

राज्यपाल ने कहा कि सीखने की कोई आयु नहीं होती। पुस्तकें इसका सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह नीति रोजगार पाने वाले नहीं रोज़गार देने की मानसिकता से जुड़ी है। विद्यार्थी ऐसे हुनर सीखें जिससे भविष्य में उन्हें किसी पर निर्भर नहीं रहना पडे़।

राज्यपाल ने कहा कि धर्मधरा बीकानेर को छोटी काशी कहा गया है। यहां के लोगों में आत्मीयता और अपनापन घुला हुआ है। उन्होंने महाराजा गंगासिंह को दूरदर्शी शासक बताया और कहा कि उन्होंने बीकानेर में मुख्य न्यायालय की स्थापना की। ऐसा कदम उठाने वाला बीकानेर प्रदेश का पहला राज्य था।

बागडे ने महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कार्यों की सराहना की और कहा कि यह दौर सूचना प्रौद्योगिकी का है। इसके मद्देनजर शिक्षक भी नवीनतम ज्ञान अर्जित करते हुए अपडेट रहें और भविष्य के भारत को गढ़ने का कार्य करें।

राज्यपाल ने महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय द्वारा नई शिक्षा नीति के आलोक में ‘चॉइस बेस्ड क्रेडिट’ प्रणाली लागू करने पर और सभी सम्बद्ध कॉलेजों के लिए प्रयोगशाला निर्माण की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की पहचान उसकी इमारतों और परिसरों से नहीं, शिक्षा की गुणवत्ता और युवाओं के दिए जाने वाले ज्ञान की परम्परा से बनती है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और आर्गेनाइजर के सम्पादक श्री प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि विश्वविद्यालयों का दायित्व केवल विद्यार्थियों को पढ़ाना अथवा उपाधियां देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में मानवता, सहिष्णुता, स्वीकार्यता, तर्क, विचारों के विकास तथा सत्य की खोज के लिए प्रेरित करना है।

महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने आभार जताया।

समारोह में वर्ष 2022 की परीक्षा के लिए दिए जा रहे 63 में से 50 तथा वर्ष 2023 की परीक्षा के लिए दिए जा रहे 62 में से 47 स्वर्ण पदक छात्राओं द्वारा प्राप्त करने पर राज्यपाल ने बधाई दी और कहा यही महिला सशक्तिकरण है। उन्होंने कुलाधिपति पदक एवं कुलपति पदक छात्राओं को दिए जाने पर भी खुशी जताई। वर्ष 2022 की 84 विद्या-वाचस्पति में से 33 व वर्ष 2023 की 50 में से 26 छात्राओं को दी जा रही हैं।

राज्यपाल ने वर्ष 2022 के 1 लाख 26 हजार 949 और वर्ष 2023 के 1 लाख 21 हजार 20 विद्यार्थियों को उपाधियां और 125 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए। वहीं 134 अभ्यर्थियों को विद्या-वाचस्पति (पीएच.डी) की उपाधि दी गई। राज्यपाल ने इस दौरान आर्ट गैलेरी का लोकार्पण किया।

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