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मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, BJP नहीं ढूंढ सकी नया मुख्यमंत्री, CM बीरेन सिंह ने दिया था इस्तीफा

अबतक इंडिया न्यूज 13 फरवरी । मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. इससे पहले 9 फरवरी को राज्य के सीएम बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था. ये इस्तीफा उन्होंने राज्य में चली आ रही जातीय हिंसा के करीब दो साल बाद दिया था. इस मामले के साथ ही अन्य मुद्दों को लेकर राज्य में उनकी आलोचना हो रही थी. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद से चर्चा थी कि राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है.

बता दें कि संविधान के मुताबिक किसी भी राज्य की विधानसभा की दो बैठकों के बीच 6 महीने से ज्यादा का अंतर नहीं होना चाहिए. हालांकि, मणिपुर विधानसभा के मामले को देखा जाए तो ये समय सीमा बुधवार को खत्म हो गई. इसके साथ ही राज्य में किसी भी पार्टी या गठबंधन ने सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया.

10 फरवरी से शुरू होना था विधानसभा सत्र

10 फरवरी से मणिपुर विधानसभा का सत्र शुरू होना था. मगर, बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद इसे स्थगित करने का आदेश जारी किया गया. ये सब उस वक्त हुआ जब कांग्रेस विधानसभा सत्र में बीरेन सिंह के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन लाने की तैयारी में थी. हालांकि, अब तमाम सियासी उठापटक पर विराम लग गया है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है.

राष्ट्रपति शासन लागू होने का असर

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर उस राज्य की शासन व्यवस्था में कई बदलाव हो जाते हैं. राज्य का प्रशासन राष्ट्रपति के कंट्रोल में आ जाता है. राष्ट्रपति अपने प्रतिनिधि के तौर पर राज्यपाल को प्रशासन चलाने की जिम्मेदारी देते हैं और राज्यपाल केंद्र के निर्देशों के आधार पर शासन करता है.

राज्य के कानूनों पर क्या असर पड़ता है?

आमतौर पर राज्यों की विधानसभा कानून बनाती हैं. मगर, राष्ट्रपति शासन में राज्य के कानून संसद बनाती है. अगर संसद का सत्र न चल रहा हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है. राष्ट्रपति शासन अधिकतम 6 महीने के लिए लागू किया जाता है. मगर, इसे 3 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है. इसके लिए संसद की अनुमति जरूरी होती है.

किन परिस्थितियों में लगता है राष्ट्रपति शासन?

किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन तब लागू किया जाता है जब राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के पालन में असमर्थ रहे.कानून-व्यवस्था फेल होने पर भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है. इसके साथ ही सरकार के अल्पमत में आने पर और स्थिर सरकार न बन पाने पर भी राष्ट्रपति शासन किया जाता है. इसके अलावा भ्रष्टाचार, विद्रोह, आपदा या अन्य कारणों से सरकार के फेल होने पर राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है.

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