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आर्थिक सर्वे ने बता दिया कैसी रहेगी 2025 में GDP ग्रोथ रेट, महंगाई की चाल, 2047 तक कैसे बनेगा विकसित भारत!

अबतक इंडिया न्यूज 31 जनवरी । वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पेश किए जा रहे आर्थिक सर्वे (Economic Survey) में अगले वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी से लेकर 6.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान जताया गया है जो कि बीते चार सालों में सबसे कम विकास दर रहने का अनुमान है. बीते साल 22 जुलाई 2024 को आर्थिक सर्वे में मौजूदा चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी से लेकर 7 फीसदी के बीच जीडीपी ग्रोथ रेट रहने का अनुमान जताया गया था.

2047 तक विकसित भारत बनने के लिए 8 फीसदी विकास दर जरूरी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने लोकसभा में देश के आर्थिक सेहत का लेखा-जोखा 2024-25 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण को पेश किया है. आर्थिक सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी से लेकर 6.8 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है. इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के लिए अगले एक से दो दशक तक 8 फीसदी के दर से आर्थिक विकास करना होगा. आर्थिक सर्वे के मुताबिक 2047 में देश की आजादी के शताब्दी वर्ष के समय तक विकसित भारत बनने की अपनी आर्थिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए, भारत को एक या दो दशक तक औसतन करीब 8 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट हासिल करने की जरूरत है. हालांकि ये बेहद महत्वपूर्ण है कि वैश्विक हालात जिसमें राजनीतिक और आर्थिक हालात शामिल है वो भारत के आर्थिक विकास के परिणामों को प्रभावित करेगा.

सोशल सर्विसेज एक्सपेंडिचर में भारी उछाल 

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के मुताबिक शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के विकास के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने पर सरकार के फोकस में महत्वपूर्ण प्रगति आई है. वित्त वर्ष 2020-21 में इसपर 23.3 फीसदी खर्च किया गया था जो 15 फीसदी सीएजीआर के साथ बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 26.2 फीसदी कर दिया गया है. वित्त वर्ष 2024-25 में केंद्रप और राज्य सरकार का सोशल सर्विसेज एक्सपेंडिचर वित्त वर्ष 2020-21 में 14.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 25.7 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है. आर्थिक सर्वे 2024-25 के मुताबिक लेबर रिफॉर्म्स के चलते श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सकी है तो इसके चलते रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. सर्वे के मुताबिक इन सुधारों का मकसद  कोजगार के अवसर को बढ़ावा देने के साथ इकोनॉमिक समावेशिता को बढ़ावा देना और इज ऑफ डूंइंग बिजनेस के साथ वर्कफोर्स के हिसों की रक्षा करना है.

सोशल मीडिया ने युवाओं का बिगाड़ा मेंटल हेल्थ 

इकोमॉनिक सर्वे के मुताबिक युवाओं के मेंटल हेल्थ ही भविष्य में अर्थव्यवस्था को गति देगा. लाइफस्टाइल च्वाइस, वर्कप्लेस कल्चर, और परिवार के हालात प्रोडक्टिविटी के लिए बेहद मायने रखते हैं. सोशल मीडिया पर खाली समय व्यतीत करना, व्यायाम नहीं करना और परिवार के साथ पर्याप्त समय नहीं व्यतीत करने के चलते मेंटल हेल्थ युवाओं का प्रभावित हो रहा है.

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