
अबतक इंडिया न्यूज 26 जनवरी सिरोही । राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ा स्टेशन पर 21 जनवरी को मिले तीन महीने के बच्चे ने अब सुर्खियां बटोर ली हैं. बच्चे को लेकर 70 से अधिक दंपतियों ने उसे अपना बच्चा होने का दावा किया, लेकिन बाल कल्याण समिति ने किसी भी दावे को सही नहीं माना. इस बीच, रेलवे पुलिस फोर्स ने बच्चे के असली माता-पिता को ढूंढने का दावा किया है. पुलिस के मुताबिक, कर्ज में डूबे होने के कारण दंपति ने अपने बच्चे को स्टेशन पर छोड़ दिया था. यह कदम उन्होंने क्राइम पेट्रोल जैसे टेलीविजन सीरियल्स देखकर पूरी तरह से योजनाबद्ध तरीके से उठाया था. पुलिस अब इस मामले की गहन जांच कर रही है, और बच्चे की सुरक्षा बाल कल्याण समिति के पास सुनिश्चित की गई है.
पिंडवाड़ा स्टेशन पर मिले तीन महीने के बच्चे के मामले में बाल कल्याण समिति अब भी किसी के दावे से संतुष्ट नहीं हो पाई है. 20 दंपति और 50 अन्य दंपतियों ने बच्चे को अपनाने का दावा किया है, जो विभिन्न रेलवे स्टेशनों से पहुंचे हैं. बच्चे के पास एक लेटर भी मिला था, जिसमें राधिका नाम की महिला ने लिखा था कि उसने भाग कर शादी की थी और अब उसके पति की मौत हो चुकी है. लेटर में महिला ने यह भी बताया कि वह खुद गंभीर बीमारी से जूझ रही है और अपने बच्चे की परवरिश नहीं कर सकती. उसने इस कारण बच्चे को स्टेशन पर छोड़ने का निर्णय लिया. महिला ने यह भी लिखा था कि वह अपनी बीमारी के चलते अब सुसाइड करने का सोच रही है और कुछ ही समय में अपनी जान ले लेगी. इस लेटर ने मामले को और जटिल बना दिया है, क्योंकि यह आशंका जताई जा रही है कि महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी. पुलिस और बाल कल्याण समिति ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है, और बच्चे की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं.
अब ईश्वर भाई, निवासी अहमदाबाद, इस पूरे मामले से जुड़ी एक नई कहानी लेकर पुलिस के पास पहुंचा है. उसने बताया कि क्राइम पेट्रोल का एपिसोड देखकर उसने बच्चे के बारे में जो लेटर लिखा था, वह पूरी तरह से झूठ था. ईश्वर ने बताया कि वह कर्ज में डूब चुका था, और इसी वजह से उसने यह झूठी कहानी बनाई. उसने दूर अपने बच्चे को स्टेशन पर छोड़ने के बाद अंबा माता में सुसाइड करने का प्लान भी बनाया था, लेकिन जैसे ही उसे यह खबर मिली कि उसका बच्चा पिंडवाड़ा स्टेशन पर मिल गया है, वह अपनी पत्नी के साथ वहां पहुंचा. उनका कहना था कि बेटे की याद में ही वे पिंडवाड़ा गए थे. बाल कल्याण समिति ने इस मामले में अभी तक किसी के दावे को स्वीकार नहीं किया है. जब तक बाल कल्याण समिति पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होती, तब तक बच्चे को उसके असल माता-पिता को सौंपा नहीं जाएगा. अगर कोई गलत दावा करता है, तो उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है.