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स्मारक पर सियासत: दिल्ली में समाधि स्थल बनाए जाने की क्या है सरकारी प्रक्रिया?

अबतक इंडिया न्यूज 28 दिसम्बर । दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार किए जाने के लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है. विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार ने पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार राजघाट पर न करवाकर उनका अपमान किया है. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा कि आज तक सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अंतिम संस्कार अधिकृत समाधि स्थलों में किए गए ताकि हर व्यक्ति बिना किसी असुविधा के उनका अंतिम दर्शन कर सके और श्रद्धांजलि दे सके. डॉ मनमोहन सिंह समाधि स्थल के हकदार हैं. सरकार को उनका आदर करना चाहिए और उनकी कौम के प्रति आदर दिखाना चाहिए.

पूर्व प्रधानमंत्री के निधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को पीएम मोदी को पत्र लिखकर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार किसी ऐसे स्थान पर कराए जाने की मांग की थी जहां उनका समाधि स्थल बनाया जा सके. इसके लिए उन्होंने कई पूर्व प्रधानमंत्रियों का हवाला भी दिया जिनका अंतिम संस्कार राजघाट पर किया गया था. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात विचार करना चाहिए क्योंकि पूर्व पीएम मनोहन सिंह भारत के महान शख्सियत थे.

अंतिम संस्कार और समाधि स्थल को लेकर जारी विवाद के बीच यह भी जानना जरूरी है कि आखिर इसके लिए सरकारी प्रक्रिया क्या है? किन-किन नेताओं का समाधि स्थल बनाया जाता है और किसका नहीं बनाया जाता है. इसके लिए किस-किस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है यह भी जान लेते हैं.

दिल्ली में समाधि स्थल बनाए जाने की क्या है सरकारी प्रक्रिया?

  • सरकारी प्रक्रिया ये है कि समाधि स्थल केवल उन नेताओं के लिए बनाए जाते हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय और ऐतिहासिक महत्व का योगदान दिया हो.
  • यह विशेष रूप से भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप-प्रधानमंत्री, और कभी-कभी राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों के लिए लागू होता है.
  • राजघाट और उससे जुड़े समाधि स्थलों का प्रशासन राजघाट क्षेत्र समिति के तहत आता है. यह समिति संस्कृति मंत्रालय की देखरेख में कार्य करती है.
  • समाधि स्थल के लिए निर्णय लेने में यह समिति स्थान की उपलब्धता, व्यक्ति के योगदान और मौजूदा नीतियों का मूल्यांकन करती है.
  • संस्कृति मंत्रालय समाधि स्थल निर्माण के प्रस्ताव की समीक्षा करता है. प्रस्ताव पर चर्चा के लिए अन्य विभागों, जैसे शहरी विकास मंत्रालय और गृह मंत्रालय, से परामर्श किया जाता है.
  • समाधि निर्माण की प्रक्रिया केंद्र सरकार की कई मंत्रालयों से होकर गुजरती है. संस्कृति मंत्रालय समाधि स्थल के निर्माण और संरक्षण का प्रबंधन करता है.
  • आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय भूमि आवंटन और निर्माण योजना में सहयोग करता है. गृह मंत्रालय विभाग समाधि स्थल निर्माण के लिए सुरक्षा और राजकीय सम्मान की प्रक्रिया सुनिश्चित करता है.
  • समाधि स्थल के लिए भूमि का चयन दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) और राजघाट क्षेत्र समिति के माध्यम से होता है.

बीजेपी बोली-उचित सम्मान देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

विवादों के बीच बीजेपी का कहना है कि देश के आर्थिक विकास की एक बड़ी नींव रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उचित सम्मान देने के लिए बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कैबिनेट ने अपनी बैठक में फैसला लिया कि मनमोहन सिंह की याद में एक स्मारक और समाधि बनाई जाएगी और यह बात कांग्रेस पार्टी को बता दी गई है.

बीजेपी ने विपक्ष पर लगाया राजनीति करने का आरोप

उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बता भी दिया है कि सरकार ने स्मारक बनाने का फैसला किया है और भूमि अधिग्रहण, ट्रस्ट के गठन और भूमि हस्तांतरण जैसी प्रक्रियाओं के पूरा होने के बाद जो भी समय लगेगा, वह काम उचित तरीके से और जल्द से जल्द किया जाएगा. कांग्रेस पार्टी, जिसने अपने जीवनकाल में कभी डॉ. मनमोहन सिंह का सम्मान नहीं किया, आज उनके निधन के बाद भी राजनीति करती नजर आ रही है.

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