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न अडानी और न किसान आंदोलन… फिर कैसे बैकफुट पर आ गया पूरा विपक्ष, कहां पलटी बाजी?

अबतक इंडिया न्यूज 6 दिसम्बर । संसद का सत्र चल रहा है. हर बार की तरह इस बार भी हंगामेदार है. अडानी का मुद्दा छाया हुआ है. विपक्ष अडानी मामले पर बहस की मांग कर रहा है. किसान आंदोलन को लेकर भी कम रस्साकशी नहीं है. विपक्ष के पास अभी तक ये दो हथियार हैं. अडानी और किसान आंदोलन वाले दोनों हथियार से विपक्ष सरकार पर हमलावर है. एक तरह से कहिए तो विपक्ष फ्रंटफुट से खेल रहा है. हर दिन संसद में हंगामा और बवाल हो रहा है. विपक्ष के सामने लोकसभा और राज्यसभा में सरकार बेबस नजर आ रही है. हंगामा इतना बरप रहा है कि सरकार कुछ भी नहीं कर पा रही है. मगर सियासत ने करवट बदली है. भाजपा को कांग्रेस पर पलटवार करने का मौका मिल गया है.

जी हां, संसद में शुक्रवार को एक ऐसा कांड हुआ, जिससे बाजी पूरी तरह पलट गई. अब विपक्ष नहीं, सरकार विपक्ष पर हमलावर है. विपक्ष की बोलती बंद होती दिख रही है. मामला है कैश कांड का. संसद में कैश कांड ने विपक्ष को बैकफुट पर धकेल दिया है. हुआ कुछ यूं कि राज्यसभा में शुक्रवार को नोटों का बंडल मिला. यह 500 रुपए के नोटों की गड्डियां थीं. राज्यसभा में शुक्रवार को चेकिंग के दौरान 500 रुपये के नोटों का बंडल मिला. खुद राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को यह जानकारी दी. नोटों का यह बंडल सीट नंबर 222 से मिला था. सभापति के मुताबिक, यह सीट राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की है.

कैश कांड से बदली सियासत
नोटों की गड्डियां कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की सीट से मिलते ही हंगामा मच गया. संसद में खलबली मच गई. कहां से आया, किसका पैसा है… पर हंगामा खड़ा हो गया. तुरंत सत्ता पक्ष के सांसद हमलावर हो गए. जांच की मांग करने लगे. कैश कांड से संसद पूरी तरह से गूंज उठा. हालांकि, सभापति ने कैश कांड मामले में जांच के आदेश दे दिए. सभापति ने बताया कि यह मामला उनके नोटिस में लाया गया. इसके बाद उन्होंने सुनिश्चित किया कि तय नियमों के तहत इस पूरे मामले की जांच हो. जांच शुरू भी हो गई है. भाजपा को अब विपक्ष पर हमला करने का मौका मिल गया है. भाजपा ने हमला बोला है और जांच की मांग की. अडानी मामले पर सरकार को घेरने में जुटी कांग्रेस अब खुद कैश कांड में घिर गई है.

BJP अब फ्रंटफुट पर खेल रही, बैकफुट पर कांग्रेस
शुक्रवार को भी कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ अडानी मामले पर सरकार को घेरने चली थी. जब विपक्ष के सांसद संसद परिसर में मार्च कर रहे थे, तभी कैश कांड ने पूरा माहौल बदल दिया. भाजपा इसे कैश कांड को काफी गंभीर घटना बता रही है, जबकि कांग्रेस अभिषेक मनु सिंघवी के नाम लिए जाने पर ऐतराज जता रही है. सभापति धनखड़ के नाम लिए जाने पर कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने आपत्ति जताई. उन्होंने मेरा एक निवेदन है कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, जब तक सच का पता नहीं लग जाता, तब तक किसी का नाम नहीं लेना चाहिए. वहीं, भाजपा की दलील है कि सांसद का नाम बताने और सीट नंबर बताने में क्या दिक्कत है. इसकी तो जांच होनी ही चाहिए.

भाजपा को मिला हथियार
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह घटना गंभीर प्रवृति की है और इससे सदन की गरिमा को ठेस पहुंची है. उन्होंने राज्यसभा में सभापति धनखड़ से कहा, ‘मुझे आपके इस फैसले पर भरोसा है कि इसकी विस्तृत जांच कराई जाएगी.’ वहीं, भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, ‘बेंच से नोटों का बंडल बरामद हुआ है. यह जांच का विषय है. भारत के उपराष्ट्रपति ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मुझे आश्चर्य है कि कांग्रेस नेताओं के पास से नोटों के बंडल कहां से बरामद हो रहे हैं…इस घटना की जांच होनी चाहिए.’ भाजपा का कहना है कि विभिन्न आरोपों के आधार पर विपक्ष सदन में अपने मुद्दे उठाता है और कई बार सदन की कार्यवाही भी नहीं चलने देता. ऐसे में विपक्ष अब दोहरे मापदंड कैसे अपना सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले की सभी को निंदा करनी चाहिए.
अभिषेक सिंघवी ने क्या दलील दी?
हालांकि, अभिषेक मनु सिंघवी ने इस बात से इनकार किया कि ये नोट उनके हैं. उन्होंने दावा किया कि उपराष्ट्रपति की ओर से मामला उठाए जाने से पहले तक उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं थी. उन्होंने इसके बारे में कभी नहीं सुना था. उन्होंने कहा, ‘मैं जब राज्यसभा जाता हूं तो 500 रुपये का एक नोट लेकर जाता हूं. मैंने पहली बार इस बारे में सुना है. मैं दोपहर 12:57 बजे सदन पहुंचा और 1 बजे सदन की कार्यवाही स्थगित हो गई. इसके बाद मैं 1:30 बजे तक कैंटीन में बैठा रहा और फिर संसद से चला गया.’ बहरहाल, संसद में कैश कांड से सियासत का पहिया 360 डिग्री घूम गया है. अभी तक फ्रंटफुट पर रहा विपक्ष अब अचानक बैकफुट पर आ गया है.

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