‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ में 11 प्रस्तावों को कैबिनेट की मंजूरी, जानिए कानून बनने के बाद कैसे होंगे देश के चुनाव

अबतक इंडिया न्यूज 13 दिसम्बर । केंद्रीय कैबिनेट ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की योजना को मंजूरी दे दी है. इस पर संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही बिल भी लाए जाने की संभावना है. ऐसे में सवाल उठता है कि इसे लागू करने में किस तरह के बदलाव करने होंगे. राजस्थान में इसका क्या असर होगा? यदि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ में मौजूदा लोकसभा चुनावों के साइकल को बरकरार रखा गया तो राजस्थान के विधानसभा चुनावों पर भी इसका असर पड़ना लाजिमी है.
हालांकि दोनों चुनावों के बीच फिलहाल 6 से 7 महीनों का अंतर है. यानी फिलहाल के साइकल में लोकसभा चुनाव राजस्थान के विधानसभा चुनावों के 6-7 महीनों बाद पड़ रहे हैं. यदि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लागू किया जाता है तो मौजूदा प्रदेश सरकार का कार्यकाल 5 साल के बजाय साढ़े पांच साल भी हो सकता है. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि चुनावों का चक्र किस हिसाब से तय होगा. कोविंद समिति ने लोकसभा चुनाव के साइकल को अपनाने की सिफारिश सरकार की है.
हाई-लेवल कमेटी ने 11 सिफारिशें की हैं
इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली हाई-लेवल कमेटी ने 11 सिफारिशें की हैं. इनमें कहा गया है कि हर साल कोई न कोई इलेक्शन करवाया जाना देश की अर्थव्यवस्था, राज-व्यवस्था और समाज को नकारात्मक तौर पर प्रभावित करता है. कमेटी ने सिफारिश की है कि सभी तरह के चुनाव एक के बाद एक करवाकर इस बर्डन को कम किया जा सकता है.
– ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के पहले फेज में लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तारीखों में तारतम्यता लाई जाएगी. इसके बाद शहरी निकायों और पंचायतों के चुनाव भी इन्हीं के साथ लाए जाएंगे ताकि चारों चुनाव 100 दिन के भीतर पूरे हो पाएं.
– एक जनरल इलेक्शन के बाद राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करके लोकसभा के बुलाए जाने की तारीख को ‘निर्धारित तिथि’ घोषित कर सकते हैं जिससे लगातार तालमेल बना रहेगा.
– नई चुनी गई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा इलेक्शन के साथ छोटा किया जाएगा.
– कमेटी ने इन सुधारों के सफल क्रियान्वयन की निगरानी और सुनिश्चित करने के लिए एक क्रियान्वयन समूह के गठन की सिफारिश की है.
– कमेटी ने शहरी निकायों और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने की सुविधा के लिए अनुच्छेद 324-A को शामिल करने का सुझाव दिया है. इसके अलावा, सभी चुनावों के लिए एकीकृत मतदाता सूची और फोटो पहचान पत्र बनाने के लिए अनुच्छेद 325 में संशोधन का प्रस्ताव दिया है.
– किसी भी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित होने या सरकार बनाने पर अनिर्णय की स्थिति में नए चुनाव होंगे. लेकिन नए चुने गए सदन का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव तक ही सीमित रहेगा.
– पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे.
– दूसरे चरण में राज्य और लोकसभा चुनावों के 100 दिनों के भीतर नगरपालिका और पंचायत चुनाव कराए जाएंगे.
– इसके लिए चुनाव आयोग को ईवीएम और वीवीपेट जैसी आवश्यक उपकरणों की खरीद की सक्रिय रूप से योजना बनाने की सलाह दी गई है ताकि चुनावों का प्रबंधन कुशलता से हो सके.
– कोविंद कमेटी ने एकीकृत मतदाता सूची और पहचान-पत्र प्रणाली की सिफारिश की है. इसके लिए संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी जो राज्यों के समर्थन से होगी.
राजस्थान विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. श्याम मोहन अग्रवाल के अनुसार बहरहाल पूरा मामला बेहद पेचीदा है. इस बिल के पास होने के बाद इसे कैसे और किन सिफारिशों के साथ लागू किया जाएगा यह कहना मुश्किल है. अभी कई संशोधन और सुझावों की भी गुंजाइश है. राजस्थान में दिसंबर 2023 में विधानसभा चुनाव हुए हैं. 15 दिसंबर को भजनलाल सरकार का गठन हुआ है. उसके बाद लोकसभा चुनाव सात फेज में मई और जून माह हुए थे. लिहाजा राजस्थान विधानसभा और लोकसभा चुनावों में 6 से 7 महीनों का अंतर है. अगर सबकुछ बिल के मुताबिक होता है तो राजस्थान में मौजूदा सरकार को छह माह का एक्सटेंशन मिलेगा.
विपक्षी दलों ने एक राष्ट्र एक चुनाव पर जताई चिंता
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ योजना को लेकर कई राजनीतिक दलों ने चिंता जताई है। कुछ दलों का कहना है कि इससे क्षेत्रीय दलों को नुकसान होगा। केंद्र में सत्तारूढ़ दल को इससे फायदा होगा। इसके अलावा, संविधान में संशोधन करने के लिए कई राज्यों की सहमति जरूरी होगी। यह एक बड़ी चुनौती होगी। फिर भी, सरकार इस योजना को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले दिनों में इस पर और चर्चा होगी।