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उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण में ‘हाथ’ रहेगा साथ! सरकार में शामिल होने से हुआ दूर, सामने आई ये वजह

अबतक इंडिया न्यूज 16 अक्टूबर । जम्मू-कश्मीर की राजनीति में आज (16 अक्टूबर 2024) का दिन काफी अहम है. एक तरफ जहां आज नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे तो वहीं दूसरी ओर शपथ ग्रहण समारोह से ठीक पहले कांग्रेस ने बड़ा फैसला किया है. कांग्रेस आलाकमान ने तय किया है कि वह उमर अब्दुल्ला सरकार में शामिल नहीं होगी. हालांकि बाहर से समर्थन जारी रहेगा. बता दें कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था और इस गठबंधन ने जीत हासिल की थी.

वहीं, दूसरी तरफ अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन की जीत के बाद अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री के रूप में आज शपथ लेंगे. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा दिन में साढ़े 11 बजे शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में मंत्रियों को भी पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे.

खरगे, राहुल और प्रियंका गांधी भी रहेंगे मौजूद

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मंगलवार (15 अक्टूबर 2024) को मीडिया को बताया कि खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका आज उमर अब्दुल्ला के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे. हालांकि मंगलवार को शपथ ग्रहण समारोह से ठीक पहले सरकार में शामिल न होने का फैसला लेकर कांग्रेस ने हर किसी को चौंका दिया है. हालांकि राजनीतिक एकजुटता का संदेश देने के लिए राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे और प्रियंका गांधी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे.

कांग्रेस की नाराजगी की हो सकती है दो वजह

1. दबाव बनाने की कोशिश!

शपथ ग्रहण समारोह से करीब 3 घंटे पहले सरकार में शामिल न होने के कांग्रेस के फैसले के बाद अब तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस उमर अब्दुल्ला सरकार में सिर्फ एक मंत्री पद मिलने से नाराज है. कांग्रेस पार्टी कम से कम दो मंत्री पद चाह रही थी, लेकिन अब्दुल्ला इस पर सहमत नहीं थे. एक्सपर्ट का कहना है कि हो सकता है कि कांग्रेस ने बीजेपी पर दबाव बनाने के लिए ऐसा किया हो.

2. प्रायश्चित

कांग्रेस नेतृत्व नहीं चाहता कि जम्मू कश्मीर में अब तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन करते हुए यानी केवल छह सीटें जीतने के बाद प्रदेश इकाई के बड़े नेताओं को मंत्री पद का तोहफा मिले. एक किस्म से ये कांग्रेस का राजनीतिक प्रायश्चित भी हो सकता है.

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