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मौसमी बीमारियों की जिलेवार होगी समीक्षा,मेडिकल टीमों की बढ़ेगी संख्या,प्रमुख शासन सचिव ने जारी किए निर्देश

अबतक इंडिया न्यूज जयपुर, 23 सितम्बर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री  गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देशन में प्रदेश में मौसमी बीमारियों पर प्रभावी रोकथाम के लिए लगातार जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश में मौसमी बीमारियों के नियंत्रण के लिए मेडिकल टीमों की संख्या और बढ़ाई जाएगी एवं इनके कार्यों की जिलेवार समीक्षा की जाएगी। साथ ही, सुपरवाइजरी स्टॉफ द्वारा टीमों के कार्यों का सत्यापन किया जाएगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने सोमवार को सचिवालय स्थित अपने कक्ष में मौसमी बीमारियों की स्थिति की समीक्षा करते हुए इस संबंध में दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एलएचवी, सीएचओ, आशा कॉर्डिनेटर, बीपीएम, चिकित्सा अधिकारी, बीसीएमओ, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, डीपीएम, डीएनओ, आरसीएचओ, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए मिशन मोड में काम करें। साथ ही, प्रभावी मॉनिटरिंग एवं पर्यवेक्षण सुनिश्चित करें।
कन्ट्रोल रूम में दर्ज शिकायतों का 24 घंटे में करना होगा निस्तारण—
श्रीमती राठौड़ ने निर्देश दिये कि मौसमी बीमारियों के लिए नियंत्रण कक्ष को और सुदृढ़ बनाया जाए। निदेशालय स्तर पर स्थापित कन्ट्रोल रूम (0141-2225624) में समस्त जिलों से प्राप्त समस्याओं एवं शिकायतों का इन्द्राज कर 24 घण्टे में उनका निस्तारण किया जाए। इसी प्रकार प्रत्येक जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय पर स्थापित कन्ट्रोल रूम में दर्ज समस्याओं का भी 24 घण्टे में समाधान सुनिश्चित किया जाये।
रेपिड रेस्पान्स टीमें करेंगी प्रभावित क्षेत्रों में भ्रमण
प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया, स्क्रब टायफस आदि मौसमी बीमारियों से प्रभावित क्षेत्रों में रेपिड रेस्पान्स टीमें भ्रमण कर गम्भीर रोगी की जांच एवं उपचार प्रदान करें। आवश्यकता होने पर चिकित्सा संस्थान में रैफर करें तथा बचाव व नियंत्रण संबंधी कार्यों यथा एन्टीलार्वल, मच्छर रोधी, फोगिंग, सोर्स रिडक्शन आदि गतिविधियों की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करें।
अधिक रोगियों वाले क्षेत्रों में विशेष फोकस— 
श्रीमती राठौड़ ने निर्देश दिये कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मौसमी बीमारियों से प्रभावित क्षेत्रों पर विशेष नजर रखें। अधिक रोगियों वाले क्षेत्रों में फोकस रूप से बचाव गतिविधियां की जाएं। पॉजीटिव रोगी पाये जाने पर वांछित कार्यवाही तत्काल की जाए ताकि बीमारी के संक्रमण को रोका जा सके। दवाइयों, कीटनाशक, अन्य लॉजिस्टिक का पर्याप्त स्टॉक रखा जाए। साथ ही, मौसमी बीमारियों की स्थिति की प्रतिदिन समीक्षा कर अगले दिन की योजना तैयार करें एवं निदेशालय में दैनिक रिपोर्ट भेजी जाए।
आमजन में बढ़ाएं जागरूकता—
श्रीमती राठौड़ ने मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि जनसामान्य को विभिन्न प्रचार-प्रसार माध्यमों द्वारा मौसमी बीमारियों से बचाव व नियंत्रण के उपायों की जानकारी दी जाए। मच्छरजनित रोगों से बचाव हेतु पूरे शरीर को ढ़कने वाले कपडे़ पहनने, घरों के आसपास जमा पानी की निकासी करने, कूलर-गमले सहित अन्य पात्रों का पानी प्रत्येक सात दिन में खाली कर पुनः भरने, बुखार होने पर तुरन्त नजदीकी चिकित्सालय में चिकित्सक से परामर्श लेने हेतु प्रेरित किया जाए। इसी प्रकार स्क्रब टायफस से बचाव हेतु घास व अन्य वनस्पति/झाड़ियों आदि में नंगे पैर नहीं जाने, घर में चूहों के प्रवेश को नियंत्रित रखने, पशुपालन विभाग से समन्वय कर पशुओं के बाड़ों में माइट/पिस्सू का उपचार कराने संबंधी जानकारी दी जाए।
बैठक में अतिरिक्त निदेशक राजपत्रित डॉ. रवि प्रकाश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य  डॉ. प्रवीण असवाल एवं उप निदेशक (मलेरिया) डॉ. निर्मला शर्मा उपस्थित रहे।

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