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सुप्रीम कोर्ट का रिजर्वेशन पर बड़ा फैसला, अब राजस्थान के इन जिलों में बदलेगी सियासी तस्वीर

अबतक इंडिया न्यूज 3 अगस्त । सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि राज्यों को कोटा के भीतर कोटा देने के लिए एससी, एसटी में सब कैटेगरी बनाने का अधिकार है. अदालत के फैसले के बाद यह तय हो गया कि राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए सब कैटेगरी बना सकती हैं.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने ये फैसला सुनाया. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोटा के भीतर कोटा गुणवत्ता के विरुद्ध नहीं है. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले लोग अक्सर सिस्टम के भेदभाव के कारण प्रगति की सीढ़ी पर आगे नहीं बढ़ पाते.

SC ने बदला  पुराना फैसला

इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के अपने पुराने फैसले को पलट दिया है. इससे पहले 2004 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार से जुड़े मामले में फैसला दिया था कि राज्य सरकारें  नौकरी में आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जातियों की सब कैटेगरी नहीं बना सकतीं.

रिजर्वेशन पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट के रिजर्वेशन पर फैसले के बाद अब राजस्थान के इन जिलों में सियासी तस्वीर बदल जाएगी.  59 जातिया राजस्थान में दलित की लिस्ट में आती हैं. सबसे बड़ा समुदाय मेघवाल है. जिसकी ज्यादातर आबादी बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर में बसी है.

पूर्वी राजस्थान में बदलेगी तस्वीर

वहीं पूर्वी राजस्थान में बैरवा और जाटवों की संख्या ज्यादा है.वही मीना सबसे पॉलिटिकली एक्टिव आदिवासी समुदाय हैं, जो कई दर्जनों विधानसभा सीटो पर असर डालते हैं. जिससे बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले पर विशेष प्रभाव पड़ता है. बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिले में भील प्रदेश पर भी अब असर पड़ेगा.

भील प्रदेश की मांग को मिलेगा बल

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में आदिवासियों के ऐतिहासिक स्थल मानगढ़ धाम में कुछ दिनों पहले अलग भील प्रदेश की मांग को लेकर महारैली हुई. भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) द्वारा बुलाई गई इस महारैली में लाखों लोग जुटे. भील प्रदेश में 4 राज्यों के 49 जिले शामिल किए जाने की बात की जा रही है.

बांसवाड़ा सांसद राजकुमार रोत ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर इस रैली में ज्यादा से ज्यादा लोगों के जुटने की अपील की थी. बीएपी की बैनर तले हो रही इस महारैली में आदिवासी समाज के एक अलग राज्य भील प्रदेश बनाने की मांग की गई.  सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब राजस्थान के डूंगरपुर और बांसवाड़ा जैसे आदिवासी क्षेत्र में सियासी तस्वीर भी अब बदलेगी.

 

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