सुप्रीम कोर्ट : कोलकाता कांड पर बनी नेशनल टास्क फोर्स में कौन-कौन? क्या काम करेगी, सब कुछ जानिए

अबतक इंडिया न्यूज 20 अगस्त । सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस पर सुओ मोटो सुनवाई की. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया है. सीजेआई ने कहा कि हम चाहते हैं कि यह टास्क फोर्स वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टरों के लिए सुरक्षा उपायों के लिए देश भर में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों की सिफारिशें दे. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह लॉ एंड ऑर्डर का भी मुद्दा है, राज्य सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है. सुनवाई के दौरान, मेहता की सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल से कई बार बहस हुई. सीजेआई चंद्रचूड़ को भी बार-बार वकीलों को टोकना पड़ा.
SC बेंच में सीजेआई के अलावा जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. कलकत्ता हाई कोर्ट ने हाल ही में मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को ट्रांसफर कर दी थी. कोलकाता डॉक्टर केस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से जुड़े अपडेट्स
कोलकाता कांड पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई Live Updates
– सीजेआई ने कहा कि ‘एफआईआर दर्ज करने में बेवजह देरी हो रही है. राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तोड़फोड़ करने वालों को पकड़ा जाए.’ सिब्बल ने बताया कि 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 50 एफआईआर दर्ज की गई हैं. इस पर एसजी ने कहा कि ’50 एफआईआर?? यह जांच न करने की तैयारी है’.
सीजेआई ने पूछा कि क्या प्रिंसिपल छुट्टी पर हैं या निलंबित हैं? सिब्बल ने बताया कि एसआईटी का गठन भी हो चुका है और वे हाईकोर्ट के निर्देशानुसार छुट्टी पर हैं. एसजी मेहता ने कहा कि राज्य द्वारा साझा की गई हर जानकारी सीबीआई को दी जानी चाहिए.
तीन हफ्ते में अंतरिम रिपोर्ट देगी टास्क फोर्स
सीजेआई ने कहा कि NTF सभी पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार करेगी. अन्य पहलुओं को भी इसमें शामिल किया जा सकता है. एनटीएफ उचित समयसीमा भी सुझाएगा जिसके आधार पर अस्पतालों द्वारा अपने मौजूदा बुनियादी ढांचे के आधार पर सुझावों को लागू किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने पैनल से अनुरोध किया कि वह इस आदेश की तारीख से तीन सप्ताह में अंतरिम रिपोर्ट तथा 2 महीने के भीतर अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करे.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सीबीआई से भी मांगी जानकारी
SC ने आदेश में कहा कि सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपने स्वास्थ्य विभागों के सचिवों के माध्यम से तथा केंद्र सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव के माध्यम से राज्यों तथा केंद्र सरकार द्वारा संचालित सभी अस्पतालों से निम्नलिखित पहलुओं पर जानकारी एकत्रित करनी चाहिए:
1. प्रत्येक अस्पताल में कितने सुरक्षा पेशेवर कार्यरत हैं
2. क्या प्रवेश पर सामान की जांच की जाती है
3. विश्राम कक्षों की संख्या
4. ऐसे कमरों में दी जाने वाली सुविधाएं
5. क्या अस्पताल के सभी क्षेत्रों में सीसीटीवी की पहुंच है
6. मरीजों के शवों को फांसी पर लटकाने का प्रशिक्षण
7. क्या अस्पताल के बाहर पुलिस चौकी है
8. क्या पीओएसएच के अनुसार आईसीसी स्थापित है
यह डेटा टेबलाइज किया जाएगा तथा केंद्र सरकार द्वारा एक महीने के भीतर हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा. CBI अपराध की जांच की प्रगति पर 22 अगस्त 2024 तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करेगी. पश्चिम बंगाल राज्य को RG कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुई घटना के बाद अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं की जांच की प्रगति पर 22 अगस्त तक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है.
मेडिकल प्रोफेशनल कौन कहलाएंगे?
चीफ जस्टिस के मुताबिक, ‘मेडिकल प्रोफेशनल्स’ में डॉक्टर, मेडिकल छात्र जो अनिवार्य रोटेटिंग इंटर्नशिप कर रहे हैं, रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर, नर्स और नर्सिंग इंटर्न शामिल हैं.
नेशनल टास्क फोर्स क्या-क्या करेगी?
सीजेआई ने बताया कि टास्क फोर्स देश के मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा, भलाई और अन्य संबंधित मामलों पर विचार करेगी. NTF कार्य योजना तैयार करने के लिए निम्नलिखित पर विचार करेगी: लिंग आधारित हिंसा को रोकना, इंटर्न, रेजिडेंट, नॉन रेजिडेंट डॉक्टरों के सम्मानजनक कामकाज के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करना.
1. आपातकालीन कक्ष के क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता हो सकती है
2. हथियारों को प्रवेश करने से रोकने के लिए बैगेज स्क्रीनिंग की आवश्यकता है
3. यदि कोई व्यक्ति मरीज नहीं है तो उसे एक सीमा से अधिक भीड़ की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए
4. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा
5. डॉक्टरों के लिए विश्राम कक्ष और डॉक्टरों, नर्सों के आराम करने के लिए लिंग तटस्थ स्थान होना चाहिए
6. ऐसे क्षेत्रों में बायोमेट्रिक्स और चेहरे की पहचान होनी चाहिए
7. सभी क्षेत्रों में उचित प्रकाश व्यवस्था, सभी स्थानों पर सीसीटीवी लगाना
8. चिकित्सा पेशेवरों के लिए रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक परिवहन
9. दुख और संकट से निपटने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन
10. संस्थागत सुरक्षा उपायों का तिमाही ऑडिट
11. आने वाले लोगों के अनुरूप पुलिस बल की स्थापना
12. POSH अधिनियम चिकित्सा प्रतिष्ठानों पर लागू होता है, इसलिए ICC का गठन किया जाना चाहिए
13. चिकित्सा व्यवसाय की आपातकालीन स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर होगा
नेशनल टास्क फोर्स में कौन-कौन होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्यों की एक सूची भी तैयार की है. सीजेआई ने बताया कि टास्क फोर्स के सदस्यों के नाम इस प्रकार हैं:
सर्जन वाइस एडमिरल आर सरीन
डॉ डी नागेश्वर रेड्डी
डॉ एम श्रीनिवास
डॉ प्रतिमा मूर्ति
डॉ गोवर्धन दत्त पुरी
डॉ सौमित्र रावत
प्रोफ़ेसर अनीता सक्सेना, प्रमुख कार्डियोलॉजी, एम्स दिल्ली
प्रोफ़ेसर पल्लवी सप्रे, डीन ग्रांट मेडिकल कॉलेज मुंबई
डॉ पद्मा श्रीवास्तव, न्यूरोलॉजी विभाग, एम्स
राष्ट्रीय टास्क फोर्स के पदेन सदस्य:
भारत सरकार के कैबिनेट सचिव
भारत सरकार के गृह सचिव
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के अध्यक्ष
राष्ट्रीय परीक्षक बोर्ड के अध्यक्ष
‘बदलाव के लिए एक और रेप का इंतजार नहीं’
सीजेआई ने कहा कि डॉक्टरों के पास आराम करने के लिए जगह नहीं है, उनके लिए बुनियादी स्वच्छता का ख्याल नहीं रखा जाता है; चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा इकाइयों में सुरक्षा की कमी है; डॉक्टरों को अनियंत्रित रोगियों को संभालने के लिए छोड़ दिया जाता है; अस्पताल में मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए केवल एक सामान्य शौचालय है; प्रोफेशनल्स को टॉयलेट तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.
सीजेआई ने कहा कि मेडिकल पेशे में अब बहुत हिंसा होने लगी है. उन्होंने कहा कि पितृसत्तात्मक पूर्वाग्रहों के कारण, महिला डॉक्टरों को अधिक निशाना बनाया जाता है. सीजेआई ने कहा कि ‘जैसे-जैसे अधिक से अधिक महिलाएं वर्कफोर्स में शामिल हो रही हैं… देश जमीनी स्तर पर बदलाव के लिए एक और बलात्कार का इंतजार नहीं कर सकता.’ उन्होंने कहा कि मौजूदा कानून डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों के लिए संस्थागत सुरक्षा मानकों के हिसाब से पर्याप्त नहीं हैं.
अस्पताल में तोड़फोड़ कैसे नहीं संभाल पाया राज्य? सीजेआई का सवाल
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘9 अगस्त 2024 को आरजी कर अस्पताल में 31 वर्षीय पीजी डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई… यौन उत्पीड़न की क्रूरता ने अंतरात्मा को झकझोर दिया है, उसका नाम और तस्वीरें निजता का उल्लंघन करते हुए प्रसारित की गई हैं. माता-पिता को कई घंटों के बाद शव देखने की अनुमति दी गई, स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर हाईकोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंप दी… बड़ी भीड़ ने अस्पताल में तोड़फोड़ की. हम यह समझने में असमर्थ हैं कि राज्य अस्पताल में तोड़फोड़ के मुद्दे को कैसे संभाल नहीं पाया.‘
– एसजी तुषार मेहता ने कहा, ‘हमें इसे तुच्छ मामला नहीं समझना चाहिए, हम एक युवा डॉक्टर के साथ एक यौन विकृत व्यक्ति द्वारा बलात्कार की घटना से निपट रहे हैं, लेकिन इसमें एक पशु जैसी प्रवृत्ति भी थी. मैं इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहता, माता-पिता को 3 घंटे तक इंतजार करना पड़ा… केरल जैसे कई राज्य हैं जो स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए काम करते हैं; यहां तक कि अगर हम एक सुव्यवस्थित समारोह में 500 लोगों की उपस्थिति चाहते हैं, तो हम जानते हैं कि यह सुव्यवस्थित होना चाहिए, अस्पताल में 7000 लोग (विरोध कर रहे हैं)… यह एक कानून और व्यवस्था की स्थिति है.’
– सीजेआई ने कहा कि ‘शव सौंपे जाने के 3 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की गई. 1:45 से 4 बजे के बीच पोस्टमार्टम हुआ. पोस्टमार्टम से पता चला कि यह मामला डॉक्टर की हत्या का है. एफआईआर रात 11:45 बजे दर्ज की गई? अस्पताल में प्रिंसिपल, बोर्ड क्या कर रहे थे?‘
– जस्टिस पारदीवाला ने पूछा, ‘एफआईआर दर्ज करवाने वाला पहला मुखबिर कौन है? एफआईआर का समय क्या है?’ सिब्बल ने बताया, ‘पहले मृतक के पिता और फिर अस्पताल के वीपी.’ जज ने पूछा कि किसकी शिकायत पहले आई? इस पर सिब्बल ने कहा कि ‘पिता की…11:45 बजे’. सीजेआई ने पूछा कि शव को अंतिम संस्कार के लिए किस समय सौंपा गया. वकील ने बताया कि 8:30 बजे.
– सीजेआई ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सीबीआई गुरुवार को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करे. हम चाहते हैं कि सीबीआई हमें जांच की स्थिति से अवगत कराए. हम एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन कर रहे हैं, हम चाहते हैं कि वे वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टरों के लिए सुरक्षा उपायों के लिए पूरे देश में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों की सिफारिशें दें.’
– सीजेआई ने पूछा, ‘प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? एफआईआर दर्ज नहीं की गई; शव माता-पिता को देर से सौंपा गया; पुलिस क्या कर रही है? गंभीर अपराध हुआ है, अस्पताल में अपराध स्थल की जांच की गई है…वे क्या कर रहे हैं? उपद्रवियों को अस्पताल में घुसने दिया जा रहा है प्रिंसिपल के यहां से इस्तीफा देने के बाद, उन्हें किसी अन्य कॉलेज में प्रिंसिपल नियुक्त किया गया है?’
– सीजेआई ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि अपराध का पता सुबह-सुबह ही लग गया था, प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या का मामला बताने की कोशिश की, माता-पिता को शव देखने की अनुमति नहीं दी गई.’ सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से कहा – यह सही नहीं है! इस पर सीजेआई ने कहा कि कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी. सिब्बल ने कहा कि जांच की गई और तुरंत एफआईआर दर्ज की गई….जांच से पता चलता है कि मामला हत्या का है.
– चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और उनके लिए हालात सुरक्षित नहीं हैं, तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं. सबसे पहले, हम इस बात से बेहद चिंतित हैं कि पीड़िता का नाम मीडिया में छा गया है, तस्वीरें और वीडियो मीडिया में छा गए हैं, यह बेहद चिंताजनक है.‘
– सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘अब यह सिर्फ अस्पताल में बलात्कार के एक विशेष मामले से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा के प्रणालीगत मुद्दे से संबंधित है. हम जानते हैं कि वे सभी इंटर्न, रेजिडेंट डॉक्टर और सबसे महत्वपूर्ण बात महिला डॉक्टर हैं… अधिकांश युवा डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं… हमें काम की सुरक्षित स्थिति सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल विकसित करना चाहिए.‘
– सीजेआई चंद्रचूड़ ने सुनवाई शुरू होते कहा कि हम (साथी जज) आपस में चर्चा कर रहे थे. पश्चिम बंगाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए. हाईकोर्ट में मूल रिट याचिकाकर्ता के अधिवक्ता भी उपस्थित हुए. पीठ ने सभी हस्तक्षेपकर्ताओं से एक पर्ची जमा करने को कहा है.
– सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता डॉक्टर केस पर सुओ मोटो सुनवाई शुरू हो गई है. सीनियर एडवोकेट्स कपिल सिब्बल, मनिंदर सिंह, एएम सिंघवी, विजय हंसारिया फ्रंट रो में मौजूद हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी अदालत में हैं. सुनवाई का सीधा प्रसारण सुप्रीम कोर्ट के यूट्यूब चैनल पर किया जा रहा है.
दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने SC में याचिका दायर कर स्वत: संज्ञान मामले में उसे भी पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने अस्पतालों और सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHCs) में किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स की सुरक्षा के लिए एक मॉड्यूल/योजना तैयार करने के लिए SC के पूर्व जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का भी अनुरोध किया है.
केंद्र के अस्पतालों में एंट्री-एग्जिट पर निगरानी बढ़ेगी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र के सभी सरकारी अस्पतालों में लागू किए जाने वाले सुरक्षा उपायों की एक सूची सोमवार को जारी की. इसमें प्रवेश और निकास पर कड़ी निगरानी रखना तथा रात में महिला स्वास्थ्यकर्मियों को लाने-ले जाने में सुरक्षा प्रदान करना शामिल हैं. यह कदम रेजिडेंट डॉक्टर द्वारा देश भर में किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के बीच उठाया गया है.
केंद्र सरकार ने यह पत्र सभी अस्पतालों के प्रमुखों को भेजा है. उनसे महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बुनियादी सुविधाओं और पर्याप्त सुरक्षा के साथ ड्यूटी सुनिश्चित करने और रात में महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों की तैनाती एक से अधिक संख्या में करने के लिए कहा. इनमें कहा गया है कि ड्यूटी के दौरान उन्हें परिसर में कहीं भी आने-जाने के दौरान सुरक्षा दी जानी चाहिए. रात में कहीं भी जाने के लिए सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था की जानी चाहिए. (भाषा इनपुट्स)