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हरियाणा में जाट और दलित पॉलिटिक्स ? दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर साथ लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

अबतक इंडिया न्यूज 27 अगस्त । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे राज्य हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले मंगलवार को एक बड़ा सियासी ऐलान हुआ है. जननायक जनता पार्टी (JJP) प्रमुख दुष्यंत चौटाला और आजाद समाज पार्टी (ASP) चंद्रशेखर ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. इस गठबंधन में सीटों के समझौते के मुताबिक, 90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में 70 सीटों पर जेजेपी और 20 सीटों पर एएसपी चुनाव लड़ेगी.

चौटाला-चंद्रशेखर ने किया एक और एक ग्यारह होने का दावा

इस मौके पर दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हरियाणा प्रदेश के अंदर जो कदम हम मिलकर उठाने जा रहे हैं वह भविष्य में और मजबूत होती जाएगी. हम युवाओं की सरकार बनाने का काम करेंगे. वहीं, चंद्रशेखर ने कहा कि  किसान और कमेरों को अपनी लड़ाई खुद लेनी पड़ेगी. हमसे वादा बहुत किया जाता है, मगर बातों में कोई सच्चाई नहीं होती. अब हम एक और एक ग्यारह हो गए हैं. दोनों पार्टी मिलकर हरियाणा के लिए काम करेगी. हम हरियाणा के भविष्य को सुनहरा देखना चाहते हैं .

JJP का दूसरा इम्तिहान, मुश्किल में घिरे हैं दुष्यंत चौटाला

हरियाणा में जेजेपी का यह दूसरा विधानसभा चुनाव है और एएसपी पहली बार किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतर रही है. जेजेपी का गठन 2018 में विधानसभा चुनाव 2019 में जेजेपी ने अकेले चुनाव लड़कर 10 सीटों पर जीत हासिल की थी. बाद में भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हुई थी. दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बनाए गए थे. लोकसभा चुनाव के पहले दुष्यंत चौटाला अपनी पार्टी जेजेपी के सात विधायकों को गवांकर भाजपा से अलग हो चुके हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव में भी उन्हें महज एक फीसदी वोट भी नसीब नहीं हो सका था.

पहली बार मैदान में ASP, हरियाणा में चंद्रशेखर की परीक्षा

दूसरी ओर, सड़क और सोशल मीडिया पर संघर्ष के जरिए चंद्रशेखर ने लोकसभा चुनाव 2024 में निर्दलीय जीत हासिल कर संसद तक पहुंचे हैं. उनकी आजाद समाज पार्टी का गठन 2022 में हुआ था. हालांकि, हरियाणा की स्थानीय राजनीति में चंद्रशेखर की एएसपी बिल्कुल नई सियासी पार्टी है, लेकिन मुश्किलों से घिरी जेजेपी के साथ मिलकर वह ताकत बढ़ा सकती है. वैसे भी चंद्रशेखर के सांसद बनने के बाद यह उनकी पहली सियासी परीक्षा होगी.

हरियाणा में जाट और दलित मतदाताओं की ताकतवर भूमिका

हरियाणा की राजनीति में जाट और दलित मतदाताओं की भूमिका ताकतवर मानी जाती है. राज्य में 25 फीसदी जाट मतदाता और 20 फीसदी से ज्यादा दलित वोटर्स हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 30 से 35 विधानसभा सीटों पर जाट मतदाता निर्णायक असर रखते हैं. वहीं, 20 से 25 सीटों पर दलित मतदाताओं का बोलबाला बताया जाता है. इसलिए, दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर आजाद के साथ आने से इस वोट बैंक के बड़े हिस्से को खींचा जा सकता है.

जाट और दलित के वोटों के अलावा युवा मतदाताओं पर फोकस

दुष्यंत चौटाला और चंद्रशेखर आजाद दोनों ने जाट और दलित जाति के वोटों के अलावा युवा वोटरों पर भी फोकस किया है. 26 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव जीतने और 31 साल की उम्र में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री बने दुष्यंत चौटाला ने गठबंधन के वक्त भी युवाओं को संबोधित किया. वहीं, चंद्रशेखर आजाद ने दलित वर्ग के युवाओं को जोड़ने के लिए भीम आर्मी भी बनाया हुआ है. यूपी की नगीना लोकसभा सीट से डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से उनकी जीत के पीछे युवाओं का सपोर्ट बताया जाता है.

दुष्यंत चौटाला के सामने चाचा अभय चौटाला की सबसे बड़ी चुनौती

हरियाणा की राजनीति में किसान मतदाताओं का भी अच्छा-खासा दखल माना जाता है. इस मामले में नए गठबंधन को मशक्कत करनी पड़ सकती है. क्योंकि किसान आंदोलन की वजह से हरियाणा में दुष्यंत चौटाला को बड़े पैमाने पर किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा था. वहीं, उनके चाचा और इनेलो प्रमुख अभय चौटाला ने किसानों के समर्थन में विधानसभा से इस्तीफा देकर अपने इमेज को मजबूत कर लिया था. इसके अलावा अभय चौटाला ने बीते महीने दलितों की बड़ी नेता मायावती की बसपा के साथ गठबंधन किया था. चौटाला परिवार और मायावती के बीच पहली बार साल 1996 में लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन हुआ था.

चंद्रशेखर के सामने मायावती और बसपा से पार पाने का बड़ा चैलेंज

हरियाणा में सभी 36 बिरादरी की राजनीति की बात करने वाले दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी अपने चाचा अभय चौटाला की पार्टी इनेलो से ही निकली है. इनेलो प्रमुख अजय चौटाला जाट समुदाय से आते हैं. इसलिए जाट मतदाताओं का भरोसा किस पार्टी को मिलेगा ये फिलहाल तय नहीं है. वहीं, हरियाणा में अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व 17 विधानसभा सीटों पर मायावती की बसपा के सामने चंद्रशेखर दलित वोटबैंक पर कितना असर दिखा पाएंगे? क्योंकि हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 में बसपा को 4.21 फीसदी वोट मिले थे.


भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से भी करना होगा दो-दो हाथ

इसके अलावा चौटाला परिवार के दोनों सियासी दलों और गठबंधनों के सामने राष्ट्रीय पार्टी भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे प्रतिद्वंदी से मुकाबला की चुनौती है. भाजपा जहां दस साल से हरियाणा में सत्ता में है. वहीं, उससे पहले कांग्रेस की सत्ता में रहने का लंबा इतिहास है. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बताते हैं कि जाटों और अनुसूचित जाति के वोटर्स ने कांग्रेस को जमकर वोट दिया.

इस बीच आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य होने की वजह से हरियाणा में उनकी पैठ बनने के आसार भी हैं. भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल हरियाणा की सभा में बहू होने की भावुक अपील कर चुकी हैं.

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