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अगर आप लोन की EMI नहीं भर पा रहे तो क्या हैं आपके पास रास्ते?

अबतक इंडिया न्यूज 17 जुलाई । कई बार ऐसा होता है कि हम बैंक से लोन तो ले लेते हैं लेकिन नौकरी के चले जाने, स्वास्थ्य समस्याएं या कोई अन्य आर्थिक संकट के कारण समय पर किस्त नहीं चुका पाते हैं. ऐसी स्थिति में आपको घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि ऐसे कई रास्ते हैं जिनसे   इस समस्या का हल निकाल सकते हैं.

इस रिपोर्ट में   उन विकल्पों पर विस्तार से चर्चा करेंगे. बैंक और लोन से जुड़ी सही जानकारी और समझदारी से लिए गए कदम न केवल आपकी मौजूदा समस्या का समाधान करेंगे, बल्कि आपके वित्तीय भविष्य को भी सुरक्षित बनाएंगे.

इन बातों का रखें ध्यान

1. बैंक से करें संपर्क: अगर किसी कारणवश आपकी पहली किस्त बाउंस हो जाती है तो तुरंत लोन देने वाले बैंक में जाना चाहिए और वहां के मैनेजर से बात करनी चाहिए. आमतौर पर ऐसी स्थिति में मैनेजर अगली किस्त ध्यान से चुकाने की सलाह देता है. लेकिन अगर किस्त न चुकाने की वजह वाकई बहुत बड़ी है तो आप कुछ महीनों के लिए मासिक किस्त होल्ड करने के लिए आवेदन दे सकते हैं. इस आवेदन से आपको कुछ महीने की राहत मिल जाएगी और बाद में पैसों की व्यवस्था होने पर उस रकम को चुकाया जा सकता है. हालांकि इसमें काफी हद तक मैनेजर का विवेक काम करता है.

2. रीस्ट्रक्चरिंग या मोरेटोरियम: बैंक कभी-कभी लोन की शर्तों को रीस्ट्रक्चर कर सकते हैं या कुछ समय के लिए मोरेटोरियम (भुगतान स्थगन) प्रदान कर सकते हैं, जिसमें आपको कुछ समय तक EMI नहीं भरनी पड़ेगी.

3. लोन टेन्योर बढ़ाना: आप बैंक मैनेजर से बात करके ऐसी स्थिति में अपने लोन की अवधि यानी टेन्योर को बढ़ाने का अनुरोध कर सकते हैं, जिससे आपकी हर महीने चुकाने वाली EMI की रकम कम हो सकती है.

4. ओवरड्राफ्ट या टॉप-अप लोन: अगर आप समय पर लोन की किस्त चुकाने में पूरी तरह असमर्थ हैं तो आप ओवरड्राफ्ट सुविधा या टॉप-अप लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं, जिससे अतिरिक्त धन मिल सकता है. ओवरड्राफ्ट एक तरह का क्रेडिट सुविधा है जो बैंक आपको करेंट अकाउंट या सेविंग अकाउंट पर देता करता है. इसमें बैंक खाते में उपलब्ध शेष राशि से ज्यादा पैसा निकालने की अनुमति देता है.

जबकि टॉप-अप लोन में मौजूदा लोन के ऊपर अतिरिक्त राशि उधार ली जाती है. यह लोन आपको तब मिलता है जब आपके पास पहले से ही एक मौजूदा लोन हो.

5. कंसोलिडेशन लोन: अगर किसी व्यक्ति ने कई छोटे छोटे लोन ले लिए हो और उसे ईएमआई चुकाने में परेशानी हो रही हो तो ऐसी स्थिति में आप कंसोलिडेशन लोन ले सकते हैं, जिससे आप सभी लोन को एक ही लोन में मर्ज कर सकते हैं और एक ही EMI भरनी होगी.

कंसोलिडेशन लोन का फायदा ये होता है कि आपको कई लोन की जगह केवल एक ही लोन की EMI भरनी होती है, जिससे मासिक भुगतान को ट्रैक करना आसान हो जाता है. इसके अलावा कंसोलिडेशन लोन में छोटे छोटे लोन की तुलना में ब्याज दर अक्सर कम हो जाता है, जिससे आपका कुल ब्याज भुगतान कम हो सकता है.

6. सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़े: लोन लेने के वक्त सबसे पहले तो सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें और समझने के बाद ही साइन करना चाहिए. कई बार ऐसा होता है कि अगर आपने होम लोन लिया है और किसी कारणवश बिल्डर ने मकान सही समय पर नहीं दिया. ऐसी स्थिति में भी आपको बैंक का लोन चुकाना ही पड़ेगा. इसके अलावा लोन के लिए किसी का गारंटर सोच समझकर बनें. ईसीएस फॉर्म पर साइन करने से पहले ये जरूर देख लें कि मकान की पोजिशन कब मिलनी है और कितनी किस्तें चुकानी हैं.

EMI चुकाने के दो तरीके 

किसी भी लोन लेने के दौरान EMI चुकाने के दो तरीके होते हैं. पहला तरीका एडवांस है दूसरा एरियर. आम तौर पर धारक एडवांस ईएमआई जमा करते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर आप एरियर ईएमआई भी भर सकते हैं. एडवांस और एरियर EMI दोनों ही लोन चुकाने के दो अलग अलग तरीके हैं, ऐसे में आपकी लोन लेते वक्त जो वित्तीय स्थिति है उस अनुसार ही ईएमआई चुकाने के तरीके चुने. एडवांस और एरियर दोनों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं, और आप अपने लिए सबसे उपयुक्त विकल्प चुन सकते हैं.

क्या होता है एडवांस EMI

इसमें लोन के पैसे मिलने से पहले ही एक या उससे ज्यादा EMI का भुगतान कर देते हैं. इसे ऐसे समझें कि जब आपका लोन अप्रूव हो जाता है, तो पहले ही 1 या 2 महीने की EMI का भुगतान करना पड़ता है.

उदाहरण के तौर पर मान लें कि आपने 1,00,000 का लोन लिया है और आपकी पहली ईएमआई 5,000 है. अगर आपने दो EMI एडवांस में चुकाई हैं, तो आपको 10,000 रुपये का भुगतान लोन स्वीकृति के समय करना होगा और बाकी बचा 90,000 आपको प्राप्त होंगे.

क्या होता है एरियर EMI 

एरियर EMI का मतलब होता है कि आप लोन की राशि मिलने के बाद EMI का भुगतान शुरू करते हैं. उदाहरण के तौर पर मान लीजिये कि आपने 1,00,000 का लोन लिया और पहली EMI 5,000 है. ऐसे में आपको 1,00,000 की पूरी राशि प्राप्त होती है, और एक महीने बाद आपकी पहली EMI 5,000 का भुगतान करना होगा.

दोनों में क्या फर्क है

एडवांस तरीके से ईएमआई चुकाने पर आपके लोन की राशि पर ब्याज कम हो सकता है, क्योंकि पहले से कुछ राशि चुकाई जा चुकी है. जबकि एरियर के तरीके से ईएमआई चुकाए जाने पर शुरुआत में कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करना पड़ता है और आपको पूरी लोन राशि मिल जाती है. हालांकि एरियर में ईएमआई चुकाने का समय ज्यादा हो सकता है, क्योंकि ब्याज की गणना पूरी राशि पर होती है.

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