अबतक इंडिया न्यूज 18 जुलाई । असम सरकार ने मुस्लिम विवाह कानून रद्द कर दिया है. मुस्लिम विवाह के साथ तलाक रजिस्ट्रेशन कानून को भी राज्य सरकार ने रद्द कर दिया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लिखा है, ‘हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. आज असम कैबिनेट की बैठक में Assam Repealing Bill 2024 के माध्यम से असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है.’
असम निरसन विधेयक 2024 को विधानसभा के अगले मानसून सत्र में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. मंत्रिमंडल ने यह भी निर्देश दिया है कि मुस्लिम विवाह के पंजीकरण के लिए कानून लाया जाए.
मुस्लिम विवाह और तलाक रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1935 में मुसलमानों के निकाह और तलाक के पंजीकरण का प्रावधान है. इस अधिनियम में समय के साथ बदलाव भी किए गए. आखिरी बार संशोधन 2010 में किया गया था. इस संशोधन में स्वैच्छिक की जगह अनिवार्य शब्द जोड़ा गया था. पहले निकाह और तलाक का रजिस्ट्रेशन करवाना स्वैच्छिक था, लेकिन 2010 के बाद यह अनिवार्य हो गया.
We have taken a significant step to ensure justice for our daughters and sisters by putting additional safeguards against child marriage.
In the meeting of the #AssamCabinet today we have decided to repeal the Assam Muslim Marriages and Divorce Registration Act and Rules 1935… pic.twitter.com/5rq0LjAmet
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 18, 2024
बता दें कि असम सरकार का यह फैसला मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के उस बयान के ठीक एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि असम में मुसलमानों की आबादी 40 फीसदी हो गई है. उन्होंने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में जनसांख्यिकी परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है. रांची में भारतीय जनता पार्टी के झारखंड चुनाव सह-प्रभारी ने पार्टी की एक बैठक के इतर यह टिप्पणी की थी. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था, ‘मैं असम से संबंध रखता हूं और जनसांख्यिकी परिवर्तन मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है. मेरे राज्य में मुस्लिम आबादी अब 40 प्रतिशत है, जो 1951 में 12 प्रतिशत थी. यह मेरे लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि जीवन-मरण का सवाल है.’
असम के मुख्यमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि झारखंड के आदिवासी इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि भाजपा आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में घुसपैठियों के खिलाफ एक मजबूत कार्ययोजना को शामिल करेगी.