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प्रश्नकाल के दौरान विधायक भाटी ने विधानसभा सदन में रखी आगजनी पीड़ितों की पीड़ा ,त्वरित सहायता भुगतान की मांग,भलुरी त्रासदी का किया उल्लेख

अबतक इंडिया न्यूज कोलायत 15 जुलाई । कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने सोमवार को विधानसभा सदन में प्रश्नकाल के दौरान, पश्चिमी राजस्थान में आगजनी से पीड़ित परिवारों को समय पर सहायता राशि नहीं मिलने के संबंध में क्षेत्र की देवतुल्य जनता के हितों के लिए उक्त विषय पर विधानसभा अध्यक्ष  व मंत्री का ध्यान आकर्षित करवाया कि राजस्थान प्रदेश के पश्चिमी भूभाग में, ग्रामीणों का गांव तथा खेत की ढाणियों में निवास करने पर गर्मियों में विशेष तौर से आगजनी की बहुत घटनाएं होती रहती है, जो कि क्षेत्रीय पुलिस थानों में दर्ज है। पश्चिमी राजस्थान में कच्चा झोपड़ा निर्माण में स्थानीय झाड़ियां खींप, सणिया का इस्तेमाल किया जाता है और गर्मियों में इनका तापमान बढ़ कर 50 से 53 डिग्री तक हो जाने एवं आपस में खींप का हवा आंधी में रगड़ खाने से आग लग जाती है।
झोपडे-छपरे में तेज हवा एवं पानी के अभाव में आग पर काबु नहीं पाया जा सकता है और उससे ग्रामीण का अनाज, गहने, कपड़े, चारपाई बिस्तर यहां तक की भेड़-बकरी, गाय भी कई बार जल जाती है। पीड़ित परिवार के तन पर कपडों के अलावा कुछ भी शेष नहीं बचता है।
प्रदेश में प्राकृतिक आपदा विभाग भी है लेकिन पुलिस व पटवारी की जांच प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है और परिवार खुले आकाश के नीचे भूखा-प्यासा, तेज गर्मी में आंखें पथराये बैठा रहता है और आपदा विभाग की अपनी कार्यशैली से 6 माह से एक वर्ष तक पीड़ित द्वारा चक्कर लगाने पर मात्र 4100/- रुपये अथवा पुरा घर जलने या पशु जलने पर एक लाख या अधिक राशि मिल जाती है तथा कई पीड़ित तो थक हार के बिना किसी राजकीय सहायता के निराश होकर घर पकड़ लेते है।
विधायक भाटी ने बताया कि मेरे विधानसभा क्षेत्र कोलायत में वर्ष 2015 की गर्मियों में ग्राम भलूरी में आगजनी से 40 परिवारों के पुरे झोपड़े, घर आग में स्वाहा हो गये थे।
इसकी सूचना मिलने पर पूर्व सिंचाई मंत्री  देवी सिंह भाटी मौका देखने पहुंचे परन्तु हालात देखकर एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ जन सहयोग से 14 दिन में प्रत्येक पीड़ित परिवार को पक्का कमरा, रसोई, स्नानघर, शौचालय, जल कुंड, गैस चुल्हा, अलमारी, सिलाई मशीन, बिजली पंखे, दो महीने की खाद्य सामग्री, चारपाई बिस्तर आदि उपलब्ध करवा दिये।
जन समूह के भारी संख्या आने-जाने पर तत्कालीन प्रभारी मंत्री  एवं संभागीय आयुक्त पांच दिन बाद सहायता राशि के नाम पर प्रत्येक परिवार को 99000/- हजार रूपये के चेक दिए।
मेरा सुझाव है कि आगजनी की घटना होने पर पीड़ित परिवार के पास तन के कपड़ों के अलावा कुछ भी शेष नहीं बचता है। ऐसी परिस्थिति में जब मौके पर पुलिस, राजस्व पटवारी सभी जांच कर लेते है तो उसी दिन पीड़ित को सहायता राशि दे देनी चाहिए। जो 6 माह या एक वर्ष बाद देने का कोई महत्व नहीं रह जाता है और आपदा विभाग एक ढकोसला लगता है।

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