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कांग्रेस अनुशासन समिति की मीटिंग सम्पन्न,15-20 ब्लॉक नेताओं व कुछ पीसीसी पदाधिकारियों पर गिर सकती हैं गाज

अबतक इंडिया न्यूज 6 जुलाई । लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश में शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन अब पार्टी ने उन नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का मन बना लिया है, जिन्होंने कांग्रेस व गठबंधन के प्रत्याशियों की खिलाफत की. कांग्रेस अनुशासन समिति की आज  प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना की अध्यक्षता में बैठक संपन्न हुई सम्पन्न हुई. बैठक में अनुशासन समिति की को-चेयरमेन शकुंतला रावत, संयोजक हाकम अली तथा सदस्य विनोद गोठवाल उपस्थित रहे. बैठक में समिति द्वारा अनुशासन भंग करने के 20 से अधिक लंबित प्रकरणों पर विस्तृत चर्चा की गई. समिति ने विवेचना करने के पश्चात सभी प्रकरणों में निर्णय के लिए अपनी अनुशंषा राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को प्रेषित कर दी.

अनुशासन समिति ने आज 22 कांग्रेसी नेताओं की लिखित शिकायतों के आधार पर विभिन्न प्रकरणों में चर्चा की.  कांग्रेस के दो निर्वाचित सांसदों मुरारीलाल मीना व हरीश मीना ने भी अपने निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के कुछ नेताओं की शिकायत की है. इनके अलावा बाबूलाल नागर, अनिता जाटव, करणसिंह राठौड़, जाकिर हुसैन, घनश्याम मेहर, प्रीति शक्तावत, इंद्रा मीणा, द्रोपदी कोली, नसीम अख्तर, महेंद्र सिंह रलावता, गणेश घोघरा, साकेत बिहारी,  रविंद्र त्यागी, उम्मेद सिंह, राजेंद्र मूंड, भानुप्रताप सिंह, आर आर तिवाडी व करण सिंह उचियावाड़ा ने भी शिकायत की है. इन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के ब्लॉक, मंडल व जिला पदाधिकारियों के अलावा पीसीसी के कुछ पदाधिकारियों की भी शिकायत की है. अनुशासन समिति के संयोजक हाकम अली ने बताया कि सभी शिकायतों के साथ पुख्ता सबूत भी दिए गए है.

 राजस्थान कांग्रेस में अनुशासनहीनता करने वाले नेताओं पर अब गाज गिरने वाली है. विधानसभा व लोकसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने वाले ऐसे नेताओं के खिलाफ रिपोर्ट तैयार हो चुकी है और जल्दी ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष इनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. माना जा रहा है कि करीब 15-20 ब्लॉक नेताओं व कुछ पीसीसी पदाधिकारियों को पद से हटाया जा सकता है. 

लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा संगठन को चुस्त दुरस्त करने में लग गए हैं. पिछले दिनों उन्होंने 27 ब्लॉक कमेटियां भंग कर दी, जो काफी समय से निषक्रिय थी. अब उन नेताओं के खिलाफ निलंबन की तलवार चलेगी, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों का साथ नहीं दिया.

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