
अबतक इंडिया न्यूज 21 जुलाई । राजस्थान सरकार ने जलदाय विभाग (PHED) का निजीकरण करने का फैसला लिया है. अब इसे राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन (RWSSC) के नाम से जाना जाएगा. इस बदलाव की तैयारी जलदाय विभाग ने शुरू कर दी है और पानी के बिल और आदेश भी अब RWSSC के नाम से आने लगे हैं.
निजीकरण का कारण और उद्देश्य
बताया जा रहा है कि जलदाय विभाग को ऋण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था. इस समस्या का समाधान करने के लिए विभाग ने निजीकरण का रास्ता चुना है. कॉरपोरेशन का गठन 1979 एक्ट के तहत किया जा रहा है और इससे उम्मीद है कि विभाग को वित्तीय सहायता और ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी. चीफ इंजीनियर शहरी, एनआरडब्ल्यू को RWSSC का मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) नियुक्त किया गया है.
विरोध की लहर
हालांकि, इस निर्णय के विरोध में भी सुर उठने लगे हैं. जलदाय विभाग के निजीकरण के खिलाफ कल वाटर वर्क्स कर्मचारी संघ ने एक आपात बैठक बुलाई है. इस बैठक में निजीकरण के खिलाफ रणनीति पर चर्चा की जाएगी. वहीं, कई अन्य संगठन भी जल भवन में इकट्ठा होकर इस फैसले का विरोध करेंगे.
बेहतर सर्विस की संभावना
वहीं कुछ जानकार इस बदलाव को सकारात्मक रूप से देख रहे हैं, उनका मानना है कि निजीकरण से जलदाय विभाग में सुधार और बेहतर सर्विस की संभावना बढ़ जाएगी. वित्तीय स्थिति में सुधार से विभाग की कार्यक्षमता और सेवा गुणवत्ता में भी बढ़ोतरी होगी.
मतभेद और बहस की संभावना
राजस्थान में जलदाय विभाग के निजीकरण का फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे संबंधित पक्षों में मतभेद और बहस की संभावना है. जहां एक ओर इस फैसले से वित्तीय समस्याओं का समाधान और सेवा में सुधार की उम्मीद की जा रही है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों और संगठनों के विरोध से इस पर अमल करना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है. आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और विरोधी पक्ष इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं.